Puratattva Ka Romance (Hardcover, Bhagwatsharan Upadhyaya)
Book Details
Publication Year: 2010
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Author Info: भगवतशरण उपाध्याय - भारतीय विद्याविद् डॉ. भगवतशरण उपाध्याय का जन्म ज़िला बलिया उ.प्र. के एक गाँव उजियार में अक्टूबर 1910 में हुआ था। वे अन्तरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विद्वान थे। भारतीय इतिहास, पुरातत्त्व, संस्कृति और कला पर उन्होंने अनेक महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का प्रणयन किया है। इसके अलावा उन्होंने अनेक अनुवाद और कोशों का सम्पादन किया है। उनके कुल ग्रन्थों की संख्या सौ से भी ज़्यादा है। उपाध्याय जी ने छात्र-जीवन में असहयोग आन्दोलन से जुड़कर दो बार जेल यात्रा भी की। बाद में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, इलाहाबाद तथा लखनऊ विश्वविद्यालय में अध्ययन किया। अपने शैक्षणिक काल में वे पुरातत्त्व विभाग प्रयाग तथा लखनऊ के अध्यक्ष, बिड़ला कॉलेज, पिलानी के प्राध्यापक इन्स्टीट्यूट ऑफ़ एशियन स्टडीज़, हैदराबाद के निदेशक; विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग के अध्यक्ष रहे। संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप के अनेक विश्वविद्यालयों के विज़िटिंग प्रोफ़ेसर होने के साथ देश-विदेश के कई सम्मेलनों की उन्होंने अध्यक्षता भी की। नागरी प्रचारिणी सभा से प्रकाशित हिन्दी विश्वकोश का उन्होंने सम्पादन किया। सन् 1982 तक वे मॉरीशस में भारत के उच्चायुक्त पद पर रहे। अगस्त 1982 में उनका देहावसान हुआ। भारतीय ज्ञानपीठ से उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—कालिदास का भारत, इतिहास साक्षी है, कुछ फ़ीचर कुछ एकांकी, ठूँठा आम, सागर की लहरों पर, कालिदास के सुभाषित, पुरातत्त्व का रोमांस, सवेरा संघर्ष गर्जन और सांस्कृतिक निबन्ध।
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